ग़ाज़ियाबाद : पुनीत कृष्णा। न्यूज़ लाईव टुडे के साहित्य सरोवर में आज प्रस्तुत है युवा कवि दीपक वर्मा की रचना।
25 वर्षीय दीपक ग़ाज़ियाबाद के प्रतिष्ठित विद्यालय में विज्ञान के अध्यापक हैं और ये रचना उन्होंने Father's Day के उपलक्ष्य में लिखी थी।
जब मैं उनकी दुनिया में आया,
पापा के हाथों का पहली बार स्पर्श पाया।
जब मेरी नन्ही आँखों ने उनके चेहरे पर मुस्कान देखी,
पापा ने जैसे उस दिन अपनी सारी चिंता थकान निकाल फ़ेंकी।
खिलखिलाकर वो हँसे मुझे देखकर और मेरे नन्हे होंठो पर जैसे ही मुस्कान आई,
उन्होंने मुझे गले लगाने में न बिल्कुल भी देर लगाई।
उनकी उँगली पकड़कर मैंने चलना सीखा,
चलते चलते गिरा पर उन्होंने सम्भाला,
ख़ुद परेशां होकर पापा ने मुझे बड़े नाज़ों से पाला।
हाथ थामकर उनका स्कूल ले जाना,
स्कूल से काॅलेज, काॅलेज से ऑफिस,
पापा की मेहनत से मेरा अपने सपनों को सजाना।
ज़िंदगी की हर राह पर मैंने उनका साथ पाया है,
अब अपने पैरों पर ख़ड़े होकर उनके लिये कुछ करने का समय आया है।
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