नई दिल्ली : पुनीत कृष्णा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को लॉकडाउन अवधि में मजदूरों और कर्मचारियों की तनख्वाह के भुगतान पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कंपनी और कर्मचारी आपस में समझौता कर तय कर लें। 
  
कोर्ट ने कहा कि कंपनी और कर्मचारी आपस में समझौता कर तय कर लें। इस सिलसिले में कंपनियों के खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट का पिछला आदेश ही मान्य रहेगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सभी मुद्दों पर एक साथ फैसला किया जाना था। अब केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का वक्त दिया जा रहा है। 

कुछ याचिकाओं में अदालत ने पहले ही कोई कार्रवाई न करने का आदेश पारित कर दिया था।  यह आदेश सभी मामलों में जारी रहेगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्योग और मजदूर दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है। 54 दिनों के लिए मजदूरी के भुगतान के विवादों को हल करने का प्रयास किया जाना चाहिए। प्राइवेट कंपनियां या फैक्ट्री, जो लॉकडाउन के दौरान भुगतान के लिए श्रमिकों के साथ बातचीत करने के इच्छुक हैं, बातचीत शुरू कर सकते हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार उन प्राइवेट कंपनियों या फैक्ट्रियों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाएगी जो लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को मजदूरी देने में विफल रहे। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मजदूरों को 54 दिन के लॉकडाउन की मजदूरी के भुगतान के लिए बातचीत करनी होगी। केंद्र ने 29 मार्च की वैधानिकता पर जवाब दाखिल करने के लिए 4 और सप्ताह दिए, जिसमें मजदूरी के अनिवार्य भुगतान का आदेश दिया गया था। अब मामले की सुनवाई जुलाई के अंतिम सप्ताह में होगी।
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