ग़ाज़ियाबाद : पुनीत कृष्णा। मित्रों आज जिस श्लोक का अर्थ मैं यहाँ बताने जा रहा हूँ उसे मैंने श्रीमद्भगवद्गीता के अठारहवें अध्याय से लिया है इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि मुक्ति के लिए सिर्फ एक ही मार्ग है, वो है कृष्णभक्ति ।
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥
(अठारहवां अध्याय, श्लोक 66)
इस श्लोक का अर्थ है : (हे अर्जुन) सभी धर्मों को त्याग कर अर्थात हर आश्रय को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ, मैं (श्रीकृष्ण) तुम्हें सभी पापों से मुक्ति दिला दूंगा, इसलिए शोक मत करो।
राधे राधे !
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