ग़ाज़ियाबाद : पुनीत कृष्णा। मित्रों आज का श्लोक मैंने श्रीमद्भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय 'सांख्ययोग' से लिया है। इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण ने विषयासक्ति के दुष्परिणाम के बारे में बताया है।
ध्यायतो विषयान्पुंसः संगस्तेेषूपजायते ।
संगत्संंजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 62)
इस श्लोक का अर्थ है : विषयों (वस्तुओं) के बारे में सोचते रहने से मनुष्य को उन्हें पाने की इच्छा होती है और इच्छा पूरी न होने पर क्रोध की उत्पत्ति होती है।
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