🙏 राधे राधे 🙏
आज का श्लोक मैंने श्रीमद्भगवद्गीता के सतरहवें अध्याय 'श्रद्धात्रयविभागयोग' से लिया है । इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण बता रहे हैं कि कोई भी कार्य यदि बिना श्रृद्धा के किया जाए वह कभी भी लाभप्रद नहीं हो सकता है।
अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत्।
असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह।।
(अध्याय 17, श्लोक 28)
इस श्लोक का अर्थ है : हे अर्जुन ! बिना श्रद्धा के किया हुआ हवन, दिया हुआ दान एवं तपा हुआ तप और जो कुछ भी शुभ कर्म है- वह समस्त असत् इस प्रकार कहा जाता है, इसलिए वह न तो इस लोक में लाभदायक है और न मरने के बाद ही ।
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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