🙏 राधे राधे 🙏

मित्रों आज का श्लोक मैंने श्रीमद्भगवद्गीता के छठे अध्याय आत्मसंयमयोग से लिया है । इस श्लोक में श्री कृष्ण बता रहे हैं कि भगवान को पाने का प्रयत्न करने वाले व्यक्ति की कभी भी दुर्गति नहीं होती। 

श्रीभगवानुवाच
नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते ।
न हि कल्याणकृत्कश्चिद्दुर्गतिं तात गच्छति ॥
(अध्याय 6, श्लोक 40)

इस श्लोक का अर्थ है : श्री भगवान बोले, "हे पार्थ (अर्जुन) ! उस पुरुष का न तो इस लोक में नाश होता है और न परलोक में ही क्योंकि है प्यारे ! आत्मोद्धार के लिए अर्थात भगवत्प्राप्ति के लिए कर्म करने वाला कोई भी मनुष्य दुर्गति को प्राप्त नहीं होता । 

सुप्रभात ! !

पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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