गाज़ियाबाद। मुरादनगर थाना क्षेत्र के गांव मोरटा निवासी समाज सेवी अमित त्यागी ने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन के बीच शराब की दुकानें खोलने का फैसला शराब के शौकीनों की प्यास बुझाने को नहीं किया है।प्रतिदिन लगभग सौ करोड़ रुपये के आबकारी राजस्व पर ही सरकार की नजर है। पर जिस प्रकार से शराब बेचने और खरीदने वालों ने शारीरिक दूरी सहित अन्य स्वास्थ्य मानकों की धज्जियां उड़ा रखी हैं, क्या उससे उत्तरप्रदेश की 23 करोड़ की आबादी के लिए संक्रमण का ख़तरा नहीं बढ़ गया है? क्या अपनी जान पर खेलकर एक-एक जान बचाने में जुटे कोरोना योद्धाओं की साधना का अपमान नहीं हुआ? क्या कुछ दिन और शराब बंदी रखकर सरकार एक हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त घाटे का कड़वा घूंट सहन नहीं कर सकती थी? क्या दफ्तरों में बैठकर सुरक्षा मानक तय करने वाले सरकारी तंत्र के कारिंदे व्यवस्था के लडख़ड़ाए कदमों को संभालने के इच्छुक या काबिल नहीं थे?
देश-प्रदेश को कोरोना संक्रमण के संकट से बचाने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया था। स्कूल, कालेज, दफ्तार, बाजार, बस, ट्रेन, हवाई जहाज सब बंद कर दिया गया। इसी बंदी के दायरे में शराब-बीयर की दुकानें भी थीं, जिन्हेंं दूसरी गतिविधियों के  साथ खोल दिया गया। क़रीब डेढ महीने की बंदी के बाद शराब की दुकानें जैसे ही खुलीं तो शराब के शौकीनों पर ऐसा नशा चढ़ा कि उन्होंने शारीरिक दूरी सहित स्वास्थ्य सुरक्षा के सारे मानक तार-तार कर डाले। समाज सेवी अमित त्यागी ने कहा कि मेरा सरकार से अनुरोध है की शराब के ठेकों को जनहित में तुरंत बन्द कराया जाये, ताकि देश प्रदेश में लोगों को इस भयंकर कोरोना महामारी से बचाया जा सके।
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