ग़ाज़ियाबाद। शनिवार को इंदिरापुरम में 'सनादि' संस्था के द्वारा 'कला की ओर एक सृजनात्मक कदम' का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पार्षद संजय सिंह एवं 'सनादि संघ' के चेयरमैन रविन्द्र नाथ श्रीवास्तव रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षा कथक नृत्य की विदूशी शिखा खरे तथा विदुशी रजनी राव रहीं।
सनादि संघ की सोच "कला का एक सृजनात्मक कदम" है। इसका मकसद सामान्य लोगों के बीच कला के प्रति जागरूकता अभियान चलाना है।
'कला और देवत्व' के संदर्भ में गोष्ठी का आयोजन किया गया।
सभी लोगों ने इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। सबका यही मानना है कि कला का विकास बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनाकर समाज की ओर एक सृजनात्मक सोच को विकसित करता है। इसमें श्रीमती रूपा श्रोफ ने बौद्धिक ज्ञान के साथ कला को एक समृद्ध एवं परिपक्व समाज बताया और बौद्धिक तथा सांस्कृतिक बातों का भी आंकलन किया। जहां शिखा ने एक कलाकार के तौर पर सुदृढ़ समाज की ओर कदम को नायाब तरीका बताया। वहीं रजनी राव ने द्वैत पद्धति के अनुसार नृत्य साधना को दैविक शक्ति की ओर एक सृजनात्मक कदम बताया।
इसमें योग साधना, नृत्य साधना पर भी सृजनात्मक कदम की ओर ध्यान आकर्षित किया गया। संगीत में प्रीतम ने गायन से सब का मन जीत लिया।
आदिराज स्कूल के छात्रों ने सिर्फ लय पर कथक नृत्य की प्रस्तुति दी।
सभा मे प्रोफेसर रजनीश ने कला और संस्कृति की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया।
सनादि संघ की सोच "कला का एक सृजनात्मक कदम" है। इसका मकसद सामान्य लोगों के बीच कला के प्रति जागरूकता अभियान चलाना है।
'कला और देवत्व' के संदर्भ में गोष्ठी का आयोजन किया गया।
सभी लोगों ने इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। सबका यही मानना है कि कला का विकास बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनाकर समाज की ओर एक सृजनात्मक सोच को विकसित करता है। इसमें श्रीमती रूपा श्रोफ ने बौद्धिक ज्ञान के साथ कला को एक समृद्ध एवं परिपक्व समाज बताया और बौद्धिक तथा सांस्कृतिक बातों का भी आंकलन किया। जहां शिखा ने एक कलाकार के तौर पर सुदृढ़ समाज की ओर कदम को नायाब तरीका बताया। वहीं रजनी राव ने द्वैत पद्धति के अनुसार नृत्य साधना को दैविक शक्ति की ओर एक सृजनात्मक कदम बताया।
इसमें योग साधना, नृत्य साधना पर भी सृजनात्मक कदम की ओर ध्यान आकर्षित किया गया। संगीत में प्रीतम ने गायन से सब का मन जीत लिया।
आदिराज स्कूल के छात्रों ने सिर्फ लय पर कथक नृत्य की प्रस्तुति दी।
सभा मे प्रोफेसर रजनीश ने कला और संस्कृति की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया।
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