नई दिल्ली : पुनीत माथुर। मशहूर शायर कैफी आजमी की 101वीं जयंती पर गूगल ने मंगलवार को डूडल के जरिए उन्हें याद किया है।
प्रेम की शायरी से लेकर बॉलीवुड गीतों और पटकथाएं लिखने में माहिर कैफी आजमी 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध गीतकार और शायरों में से एक थे।
कैफी की 101वीं जयंती पर गूगल ने अपने डूडल के में उनकी तस्वीर बनाई है जिसमें कैफी सफेद रंग के लिबास में नजर आ रहे हैं और उनके पीछे खूबसूरत अंदाज में गूगल लिखा हुआ हैं।
कैफी का जन्म 14 जनवरी, 1919 को आजमगढ़ में हुआ था। उनका वास्तविक नाम अख्तर हुसैन रिजवी था। कैफी को बचपन से ही कवितायें लिखने एवं पढ़ने का शौक था।
महज 11 साल की उम्र में कैफी ने अपनी पहली गजल लिखी थी। इसके बाद वह कई मुशायरा कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे। 1942 में कैफी आजमी उर्दू और फारसी की उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ गए।
वहां कैफी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से जुड़े और फिर महात्मा गांधी से प्रेरित होकर उनके साथ भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हो गये।
क़ैफ़ी आज़मी को राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा कई बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। 1974 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।
प्रेम की शायरी से लेकर बॉलीवुड गीतों और पटकथाएं लिखने में माहिर कैफी आजमी 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध गीतकार और शायरों में से एक थे।
कैफी की 101वीं जयंती पर गूगल ने अपने डूडल के में उनकी तस्वीर बनाई है जिसमें कैफी सफेद रंग के लिबास में नजर आ रहे हैं और उनके पीछे खूबसूरत अंदाज में गूगल लिखा हुआ हैं।
कैफी का जन्म 14 जनवरी, 1919 को आजमगढ़ में हुआ था। उनका वास्तविक नाम अख्तर हुसैन रिजवी था। कैफी को बचपन से ही कवितायें लिखने एवं पढ़ने का शौक था।
महज 11 साल की उम्र में कैफी ने अपनी पहली गजल लिखी थी। इसके बाद वह कई मुशायरा कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे। 1942 में कैफी आजमी उर्दू और फारसी की उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ गए।
वहां कैफी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से जुड़े और फिर महात्मा गांधी से प्रेरित होकर उनके साथ भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हो गये।
क़ैफ़ी आज़मी को राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा कई बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। 1974 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।
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