नई दिल्ली: पुनीत माथुर। आज न्यूज़ लाईव टुडे पर प्रस्तुत है युवा कवियत्री ममता चौधरी की एक और सुंदर रचना "मेरे ख़त" -
मेरे लिखे ख़त
तुम तक नही पहुँचे
इस बात की
तस्दीक नही मिलती
तुमसे खफ़ा होना मगर
बेवजह लगता है मुझे
सोचती हूँ अक्सर
डाकिए ने की हो
कोई बदमाशी
या विलोपित हो गया हो
तुम्हारा पता
तुम्हारे गांव के नक्शे से
और मेरे ख़त
पड़े होंं लावारिस
किसी सीलन भरे
धूल अटे कोने में
और यहाँ मैं
करती हूँ इंतज़ार
तुम्हारे जवाबी ख़त का
जिसमे भेजी हो तुमने
दुआओं की पुड़िया
मुठ्ठी भर रोशनी
और साथ में नक्शा
उस जहाँ का
जिसके जरिए पता चले
कि दर्द की तासीर
वैसी ही होती है वहाँ भी
बिछुड़ने का जायका भी
होता है सेम टु सेम
कोई यू टर्न नहीं होता
न ही कोई रिवर्स गियर
जिंदगी हो या मौत
फलसफा यही है
मेरे ख़त नहीं मिले होंगे तुम्हें
मगर फिर भी जवाबी चिठ्ठी
लिखी जरूर होंगी तुमने
तुम्हे शब्दों की जरूरत
कब पड़ती है
फिर भी ख़त लिख रही हूँ
कि मुझे जरूरत है
तुम्हारी तमाम
दुआओं की
तुम मन पढ़ लेते हो
सपनो में आकर
तो पढ़ लेना
मेरी आखिरी ख्वाहिश
तक इस दफ़ह
मेरे अश्कों का स्वाद
कौन जान सकता है
तुमसे बेहतर
तुम्ही तो लिख जाते हो
सुकूँ मेरी बेचैनियों की
हथेलियों पर
क्योंकि इस पार हो
या उस ठौर
सुकूँ जरूरत है
दोनों जहानों की
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