नई दिल्ली। होटल हॉलिडे इन में सोमवार को आयोजित एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन इंटरनेशनल सोशल सिक्योरिटी एसोसिएशन कंस्ट्रक्शन जर्मनी के अध्यक्ष प्रोफेसर कार्ल हेंज नोएटेल ने किया। प्रोफेसर कार्ल हेंज नोएटेल को "विजन जीरो"- अवधारणा का जनक माना जाता है। विज़न ज़ीरो, व्यावसायिक दुर्घटनाओं और काम से संबंधित बीमारियों के बिना दुनिया की दृष्टि है। इसकी सर्वोच्च प्राथमिकता घातक और गंभीर कार्य दुर्घटनाओं और व्यावसायिक रोगों को रोकना है। "विजन जीरो" रोकथाम का एक परिवर्तनकारी तरीका है जो सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम के सभी स्तरों पर कल्याण के तीन आयामों को एकीकृत करता है। इसे प्राप्त करने के लिए, मापें कि कौन से सिद्धांत, अर्थात, प्रतिरोध, और अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक प्रतिभूति संघ (ISSA) ने सात स्वर्ण नियम निर्धारित किए हैं और विज़न जीरो प्राप्त करने के लिए एक रूप का वर्णन किया है। चार मौलिक जीवन पर आधारित अवधारणा गैर-परक्राम्य है, मानव पतनशील हैं, सहनीय सीमाएं मानव शारीरिक द्वारा परिभाषित की जाती हैं, लोग सुरक्षित परिवहन और सुरक्षित कार्यस्थलों के हकदार हैं।
इस अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का आयोजन ISSA जर्मनी,MOSHPA मलेशिया,NSC सिंगापुर तथा कनैक्ट OSH इंडिया के तकनीकी सहयोग से किया गया।सम्मेलन में आये 250 से अधिक व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा, वातावरण और अग्नि सुरक्षा के विशेषज्ञों ने औद्योगिक रूप से विकसित और विकासशील देशों में लागू होने वाले सुरक्षा और स्वास्थ्य संबन्धित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। इस अवसर पर डॉ अवनीश सिंह ने कहा कि हमारे देश ने औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में बहुत तेज़ी से प्रगति की है। जहां एक ओर उत्पादन में वृद्धि हुई है वहीं उद्योगों में कार्यरत हमारे कामगारों के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य के पुख्ता इंतजाम करने की ज़रूरत है। उन्होंने बताया कि सरकार श्रम कानूनों के सरलीकरण और युक्तीकरण के काम को बहुत तेज़ी से आगे बढ़ा रही है। तेरह श्रम कानूनों को समाहितकर औद्योगिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और वातावरण संहिता का स्रजन किया गया है । इस संहिता के लागू होने के बाद हमारे असंगठित क्षेत्र के उद्योगों में भी व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में व्यापक सुधार होगा। पिछले कुछ दशकों के दौरान हमारे देश ने औद्योगिक विकास के क्षेत्र में बहुत तेज़ी से प्रगति की है। मगर याद रहे की यह तेज औद्योगिक विकास अतीत में कई त्रासदियों को भी अपने साथ लाया है। विश्व की सबसे भयंकर भोपाल गैस त्रासदी जैसी दुर्घटनायें जिसने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बहुत बड़ा धब्बा है। डॉ सिंह ने कहा कि आज जरूरत है रोजगार के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं के रोकथाम की,सुरक्षित कार्य वातावरण के निर्माण की,श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की, जिससे की श्रमिक कार्य करते समय किसी दुर्घटना का शिकार न बने और करते समय स्वयं को सुरक्षित महसूस करें, और उत्साहित हो कर अधिक से अधिक उत्पादन कर देश की प्रगति में भरपूर योगदान कर सकें।
Post A Comment: