गीत:
लगेगी श्वास जब थकने,
चलूँगा प्राण तज अपने।
कि ऐसी रात आएगी,
मुझे ऐसा सुलायेगी।
नहीं देखूं कभी सपने,
चलूँगा प्राण तज अपने।
कि आयेंगे सभी बैरी,
लिए मन में हँसी गहरी।
दिखावा शोक का करने,
चलूँगा प्राण तज अपने।
मुझे नहला सजायेंगे,
सभी अर्थी उठायेंगे।
लगेगी तब चिता जलने,
चलूँगा प्राण तज अपने।
बने अब राख तन ढेरी,
मरण ही है वधू मेरी।
बनाया घर नया प्रभु ने,
चलूँगा प्राण तज अपने।
जितेंदर पाल सिंह
लगेगी श्वास जब थकने,
चलूँगा प्राण तज अपने।
कि ऐसी रात आएगी,
मुझे ऐसा सुलायेगी।
नहीं देखूं कभी सपने,
चलूँगा प्राण तज अपने।
कि आयेंगे सभी बैरी,
लिए मन में हँसी गहरी।
दिखावा शोक का करने,
चलूँगा प्राण तज अपने।
मुझे नहला सजायेंगे,
सभी अर्थी उठायेंगे।
लगेगी तब चिता जलने,
चलूँगा प्राण तज अपने।
बने अब राख तन ढेरी,
मरण ही है वधू मेरी।
बनाया घर नया प्रभु ने,
चलूँगा प्राण तज अपने।
जितेंदर पाल सिंह
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