नई दिल्ली : पुनीत माथुर। उत्तर भारत में, विशेषकर बृज व ग्रामीण क्षेत्रों में दिवाली के ठीक बाद गोवर्धन पूजा की जाती है । मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण इंद्र का अभिमान चूर करना चाहते थे इसके लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों की इंद्र से रक्षा की थी।
माना जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने छप्पन भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी।
कई लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। अन्नकूट यानि अन्न का समूह। विभिन्न प्रकार के अन्न को समर्पित और वितरित करने के कारण ही इस पर्व का नाम अन्नकूट पड़ा। इस दिन अनेक प्रकार के पकवान से भगवान का भोग लगाते है।
दिल्ली के आया नगर में भी सोमवार को सामूहिक गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया। स्थान था गलखोद बाबा मंगल दास खेल परिसर। जिसमे हज़ारों की संख्या में आए श्रृद्धालुओंं ने पुण्य लाभ प्राप्त किया।
इस सामूहिक पूजा कार्यक्रम का आयोजन छब्बीस बिरादरी सर्वसमाज और कई स्थानीय संस्थाओं द्वारा मिल कर किया गया।
सामूहिक गोवर्धन पूजा की सहआयोजक संस्था मातृशक्ति क्लब की संस्थापक सदस्य मधु गुप्ता ने बताया कि आया नगर एक बहुत पुराना गांव है जहाँ हर साल अलग - अलग स्थानों पर छोटी - छोटी गोवर्धन पूजा का आयोजन होता था। इन कार्यक्रमों में ज़्यादा लोग सम्मिलित नहीं हो पाते थे।
इस साल स्थानीय निवासियों ने सोचा कि क्यो ना इस बार पुराने गांव व नई कालोनियों के निवासी मिल कर एक ही स्थान पर पूजा का आयोजन करें।
इस सामूहिक गोवर्धन पूजा में सम्मिलित हो कर सभी आया नगरवासियों ने पूजा का आनंद लिया। और नए व पुराने लोगों के एक साथ आने पर यह पूजा दिल्ली की सबसे बड़ी पूजा बन गई।
माना जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने छप्पन भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी।
कई लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। अन्नकूट यानि अन्न का समूह। विभिन्न प्रकार के अन्न को समर्पित और वितरित करने के कारण ही इस पर्व का नाम अन्नकूट पड़ा। इस दिन अनेक प्रकार के पकवान से भगवान का भोग लगाते है।
दिल्ली के आया नगर में भी सोमवार को सामूहिक गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया। स्थान था गलखोद बाबा मंगल दास खेल परिसर। जिसमे हज़ारों की संख्या में आए श्रृद्धालुओंं ने पुण्य लाभ प्राप्त किया।
सामूहिक गोवर्धन पूजा की सहआयोजक संस्था मातृशक्ति क्लब की संस्थापक सदस्य मधु गुप्ता ने बताया कि आया नगर एक बहुत पुराना गांव है जहाँ हर साल अलग - अलग स्थानों पर छोटी - छोटी गोवर्धन पूजा का आयोजन होता था। इन कार्यक्रमों में ज़्यादा लोग सम्मिलित नहीं हो पाते थे।
इस साल स्थानीय निवासियों ने सोचा कि क्यो ना इस बार पुराने गांव व नई कालोनियों के निवासी मिल कर एक ही स्थान पर पूजा का आयोजन करें।
इस सामूहिक गोवर्धन पूजा में सम्मिलित हो कर सभी आया नगरवासियों ने पूजा का आनंद लिया। और नए व पुराने लोगों के एक साथ आने पर यह पूजा दिल्ली की सबसे बड़ी पूजा बन गई।
Post A Comment: