आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2019 के पहले सेमीफाइनल मैच में टीम इंडिया को न्यूजीलैंड के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। बारिश से प्रभावित वो मुकाबला पहले दिन नहीं हो पाया तो उसको दूसरे दिन (रिजर्व-डे) में खींचा गया। मैच के पहले दिन न्यूजीलैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी थी और वो बारिश की वजह से खेल रुकने तक 211 रन बना चुके थे। दूसरे दिन न्यूजीलैंड की पारी खत्म हुई और भारत के सामने 240 रनों का लक्ष्य था लेकिन वे इसे बनाने से चूक गए। टीम इंडिया को हार मिली और आलोचनाओं की बौछार शुरू हो गई। सबसे ज्यादा चर्चा हुई अर्धशतक जड़कर आउट होने वाले महेंद्र सिंह धोनी की, अब सचिन तेंदुलकर ने भी उस पर चुप्पी तोड़ी है।
सेमीफाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम अपने शुरुआती तीन विकेट गंवाने के बाद संकट में आ गई थी। मिडिल ऑर्डर में पहले हार्दिक पांड्या और रिषभ पंत ने पारी को संभाला और उसके बाद शुरू हुआ जडेजा और धोनी का धमाल। जडेजा तो 77 रन की पारी के बाद आउट हो गए लेकिन धोनी टिके थे। जब धोनी 50 रन पूरे कर चुके थे तब वो मार्टिन गुप्टिल के एक शानदार थ्रो का शिकार हो गए। वहीं पर टीम इंडिया की उम्मीदें खत्म हो गई थीं। इसके बाद कप्तान विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट पर तमाम सवाल उठे कि धोनी को 7 नंबर पर क्यों, बल्कि पहले बल्लेबाजी करने क्यों नहीं भेजा?
अब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और बताया है कि धोनी को किस स्थान पर भेजना चाहिए था। सचिन के मुताबिक सेमीफाइनल में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को नंबर सात के बजाय नंबर पांच पर भेजा जाना चाहिए था। तेंदुलकर ने कहा, ‘निसंदेह, मैं धोनी को नंबर पांच पर भेजता। भारत तब जिस स्थिति में था तब वह पारी संवार सकते थे। हार्दिक छठे और कार्तिक सातवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिये आ सकते थे।’
गौरतलब है कि सचिन तेंदुलकर ने भारत-न्यूजीलैंड विश्व कप 2019 के सेमीफाइनल के दौरान अपनी एक फेसबुक स्टोरी में ये कहा था कि न्यूजीलैंड ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनने का गलत फैसला किया है। हालांकि वो बयान उन्होंने पहले दिन दिया था, मैच दूसरे दिन खिंचा और न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाजों ने शानदार गेंदबाजी करते हुए भारत के टॉप ऑर्डर को ध्वस्त कर दिया था और फाइनल में जगह बना ली थी। फाइनल में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच रोमांचक मैच टाई रहा, फिर सुपर ओवर भी टाई रहा और अंत में नियमों के मुताबिक बाउंड्री के आधार पर इंग्लैंड को विजयी घोषित किया गया।
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