नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि उसने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को अपनी सहमति नहीं दी है। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद के मौजूदा सत्र में इस सिलसिले में संविधान में संशोधन करने समेत जरूरी कारवाई करने का अनुरोध किया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल के लिए बांग्ला नाम करने को अब तक हरी झंडी नहीं दी है। उन्होंने कहा कि किसी राज्य का नाम बदलने के लिए संविधान में संशोधन करने की जरूरत पड़ती है और सभी संबद्ध कारकों पर विचार करने के बाद ऐसा किया जाता है।
गौरतलब है कि राज्य कैबिनेट ने आठ सितंबर 2017 को यह फैसला किया था कि राज्य का नाम बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में 'बांग्ला' किया जाना चाहिए। ममता ने कहा कि विधानसभा ने इसके बाद 26 जुलाई 2018 को आम राय एक प्रस्ताव भी पारित किया। साल 2011 में राज्य का नाम 'पश्चिमबंग' करने का सुझाव दिया गया था लेकिन इसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया था। वर्ष 2016 में भी इसी तरह का एक प्रस्ताव खारिज कर दिया गया था। आखिरकार 'बांग्ला' नाम रखे जाने का प्रस्ताव किया गया। वर्ष 2018 का प्रस्ताव विदेश मंत्रालय को उसके विचार जानने के लिए भी भेजा गया था।
सरकार के इस कदम का लक्ष्य राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल (वेस्ट बंगाल) का नाम अंग्रेजी वर्णमाला के मुताबिक डब्ल्यू से शुरू होने के चलते आखिर में आने की समस्या का हल करना है। ममता ने बुधवार को मोदी को एक पत्र भी लिखा और इस बारे में संविधान संशोधन के लिए औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा करने का अनुरोध किया। ममता ने मोदी को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान इसके लिए आवश्यक संविधान संशोधन करने का भी अनुरोध किया है।
सरकार के इस कदम का लक्ष्य राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल (वेस्ट बंगाल) का नाम अंग्रेजी वर्णमाला के मुताबिक डब्ल्यू से शुरू होने के चलते आखिर में आने की समस्या का हल करना है। ममता ने बुधवार को मोदी को एक पत्र भी लिखा और इस बारे में संविधान संशोधन के लिए औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा करने का अनुरोध किया। ममता ने मोदी को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान इसके लिए आवश्यक संविधान संशोधन करने का भी अनुरोध किया है।
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