नई दिल्ली I देश में पहली बार कोई महिला वित्त मंत्री बजट पेश करने जा रही हैं. इसके पहले इंदिरा गांधी ने भी 1970 में बजट पेश किया था, लेकिन वह कार्यवाहक वित्त मंत्री थीं. नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी. एक महिला वित्त मंत्री द्वारा पेश होने वाले बजट को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह और उम्मीदें हैं.
बजट पूर्व चर्चा में वित्त मंत्री ने महिलाओं से भी मशविरा किया है. सबको इसका इंतजार है कि वित्त मंत्री अपने पिटारे से महिलाओं के लिए क्या सौगात निकालती हैं?
अंतरिम बजट में ये थे प्रावधान
अंतरिम बजट 2019-20 में भी महिलाओं के हित में कई आवंटन में बढ़ोतरी की गई थी. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का आवंटन 20 फीसदी बढ़ाकर 29,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के लिए आवंटन 1200 करोड़ से दोगुना कर 2,500 करोड़ रुपये तक कर दिया गया. बजट पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की 70 फीसदी लाभार्थी महिलाएं हैं.
क्या कर सकती हैं वित्त मंत्री
साल 2018 में इकोनॉमिक सर्वे गुलाबी रंग के कवर के साथ आया था, जिसे इस रूप में देखा गया कि हमारे नीति-नियंता लैंगिक रूप से संवदेनशील हैं. पिछले साल के बजट में महिलाओं के लिए कई और कई मद में आवंटन बढ़ाए गए तो कुछ में कटौती भी की गई. महिलाओं की समूची योजनाओं में आवंटन 4 फीसदी बढ़ाकर 1.21 लाख करोड़ रुपये तक कर दिया था. इसलिए इस बार महिला वित्त मंत्री से लोगों को काफी उम्मीद है.
इनकम टैक्स में छूट का प्रावधान
पिछले साल के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक अच्छी पहल यह की थी कि पहले तीन साल में महिला कर्मचारी के ईपीएफ योगदान को 12 से घटाकर 8 फीसदी कर दिया गया. इस चार फीसदी के अंतर का भुगतान सरकार करती है. इसको आगे भी जारी रखा जा सकता है. इसके अलावा महिलाओं की काफी दिनों से यह मांग है कि 80सी के तहत उनको मिलने वाली आयकर छूट सीमा को बढ़ाई जाए. हो सकता है कि इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस पर गौर करें. इस बात की भी मांग की जा रही है कि क्रेश सेंटर आदि में महिलाओं द्वारा बच्चों के केयर सुविधा पर खर्च होने वाली रकम में टैक्स छूट दी जाए.
उज्ज्वला और अन्य योजनाओं का दायरा बढ़े
मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना देश में काफी सफल और लोकप्रिय रही है. इस योजना का सबसे ज्यादा फायदा गरीब महिलाओं को ही हुआ है, जिन्हें चूल्हे के धुंए से मुक्ति मिली है. मोदी सरकार के दूसरी सत्ता में आने में इस योजना का भी एक बड़ा योगदान है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में सरकार ने 8 करोड़ गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है. अब देखना यह है कि इसमें वित्त मंत्री और क्या नया कर सकती हैं. इसका दायरा किस तरह से बढ़ाया जा सकता है. इस योजना की एक शिकायत यह आती है कि गरीबों को सिलिंडर रिफिल कराने में समस्या आती है. हो सकता है कि इसके लिए वित्त मंत्री कोई घोषणा करें.
इसी तरह प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना काफी लोकप्रिय हुई है. इसके तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सरकार 6 हजार रुपये देती है. इसके लिए आवंटन बढ़ाया गया है, लेकिन इस रकम में भी कुछ बढ़त करने की उम्मीद की जा रही है.
महिला सुरक्षा के लिए आवंटन बढ़े
महिला सुरक्षा एक ऐसा क्षेत्र है, जिस पर शायद एक महिला वित्त मंत्री से बेहतर और कोई नहीं सोच सकता. महिला सुरक्षा के लिए पब्लिक प्लेस और ट्रांसपोर्ट में सीसीटीवी कैमरे लगाने, महिला पुलिस बल बढ़ाने के लिए घोषणाएं की जा सकती हैं. महिला सुरक्षा के लिए चल रही योजनाओं में आवंटन बढ़ाना होगा.
उद्यमिता को बढ़ावा
भारत में महिलाएं अब ज्यादा से ज्यादा उद्यमिता के क्षेत्र में आ रही हैं. एक सर्वे के मुताबिक भारत की 48 फीसदी हाउसवाइफ अपना कारोबार शुरू करना या वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होना चाहती हैं. सरकार महिलाओं के लिए ‘सपोर्ट टू ट्रेनिंग ऐंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम (STEP)’ चलाती है, लेकिन इसके लिए बजटरी एलाकेशन सिर्फ 5 करोड़ रुपये का है जिसे बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा उद्योंगों, कॉरपोरेट जगत में ऐसी महिला अनुकूल नीतियों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है जिससे वर्कफोर्स में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं शामिल हों.
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