नई दिल्लीः कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के मतभेद एक बार फिर उजागर हुए। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने बुधवार को कहा कि वह हर रोज पीड़ा से गुजर रहे हैं। लेकिन कुमारस्वामी ने कर्नाटक की जनता से कहा कि मैं वादा करता हूं कि मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा। मैं अपनी पीड़ा को बयां नहीं कर सकता जो मैं हर रोज सहन कर रहा हूं। मैं आपके साथ बांटना तो चाहता हूं लेकिन नहीं बांट सकता, क्योंकि मेरे ऊपर राज्य की जिम्मेदारी है और मैं आपकी समस्याओं को हल करना चाहता हूं। मेरे जिम्मेदारी है कि सरकार को सुचारू रूप से चलती रहे और किसी प्रकार के कामकाज में कोई बाधा न उत्पन्न हो।
कुमारस्वामी की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक सरकार को कोई खतरा नहीं है। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी सरकार डिगाने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन वो अपने मंसूबे में कामयाब नहीं होंगे। लेकिन यहां पर लाख टके का सवाल यह है कि आखिर क्यों कुमारस्वामी के मन की पीड़ा बार-बार बाहर आ जाती है? क्या कांग्रेस सरकार को अपने तरीके से काम नहीं करने दे रही है और दबाव बनाया जा रहा है?
पिछले साल कर्नाटक में विधानसभा चुनाव कराये गए थे, जिसमें भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी। कर्नाटक के राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था और बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। राज्यपाल ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने का जो समय दिया था। कांग्रेस ने उसका विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके समय को कम करवाया। उस दौरान येदियुरप्पा बहुमत नही साबित कर पाये और उनकी सरकार एक सप्ताह से भी कम समय में गिर गई। उसके बाद कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देकर सरकार बनवा दी और एचडी कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
सरकार बनने के बाद सरकार को चलाने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। कई मौकों पर जेडीएस और कांग्रेस के बीच मतभेद खुलकर सामने आ चुके हैं। इसको लेकर राहुल गांधी को हस्तक्षेप करना पड़ा है। इसको लेकर कुमारस्वामी राहुल गांधी से भी मिल चुके हैं। सरकार को कई भीतरी और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसका असर राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के रूप में सामने आ सकता है।
इसके पहले भी कांग्रेस और जेडीएस के बीच गठबंधन की सरकार बन चुकी है। लेकिन वह ज्यादा समय तक नहीं चल पाई थी। 2004 में जब दोनों दलों की सरकार बनी थी तो जेडीएस ने कई शर्तें जोड़ दी थी और कांग्रेस को अपनी पसंद का मुख्यमंत्री बनाने पर बाध्य कर दिया था। धरम सिंह तब मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन डेढ़ साल के बाद ही कुमारस्वामी अलग हो गए।
उधर, भाजपा हमेशा राज्य की स्थिति पर नजर बनाये रहती है। भाजपा ने कई बार कांग्रेस विधायकों को तोड़ने की कोशिश भी कर चुकी है। इसके साथ लोकसभा चुनावों में कर्नाटक की कुल 28 सीटों में से भाजपा को 25 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि कांग्रेस और जेडीएस को एक-एक सीटें ही मिल पाईं। एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत हासिल हुई।
लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को 51.38 प्रतिशत वोट हासिल हुए, जबकि कांग्रेस 31.88 प्रतिशत वोट मिले। वहीं, जेडीएस को 9.67 प्रतिशत वोट मिले। यहां तक पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा भी चुनाव हार गए।
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