नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में बड़ा पेट्रोल-डीजल के बारे में बड़ा संकेत दिया है। उन्होंने कहा है कि पेट्रोलियम उत्पादों को भविष्य में GST जैसी व्यवस्था के दायरे में लाया जा सकता है। वित्त मंत्री ने संसद में सोमवार को कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को GST दायरे में लाने का सुझाव नहीं है लेकिन इन्हें एक कर व्यवस्था के अंतर्गत लाने के बारे में सोचा जा सकता है।
अभी राज्य सरकारें 35 से 40 प्रतिशत टैक्स वसूलती हैं
पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार एक्साइज और राज्य सरकारें वैट वसूलती हैं। कुछ राज्यों में टैक्स की कुल रकम 60 से 70 प्रतिशत तक है। जबकि जीएसटी की उच्चतर दर 28 फीसदी है। हालांकि यदि राज्यों से टैक्स का अधिकार वापस लिया जाता है तो उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा सकती है। इसलिए राज्य सरकारें पेट्रोल -डीजल पर जीएसटी का विरोध करती हैं जबकि आर्थिक सुधार के लिए विशेषज्ञ इसे जरूरी बता रहे हैं। उनके मुताबिक जीएसटी में आने के बाद पेट्रोल-डीजल के रेट कम हो जाएंगे। इससे आम जनता को फायदा मिलेगा। उनकी परचेसिंग पॉवर बढ़ेगी जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा कदम होगा।
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