केदारनाथ के कपाट आज सुबह ब्रह्ममूहर्त पर 5 बजकर 35 मिनट पर आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिये गये
संवाददाता- भगवान सिंह
केदारपुरी हर हर महादेव, बम बम भोले और केदार बाबा के जयकारों से गुंजयमान हो गयी। चारों ओर बिछी बर्फ की सफेद चादर पर श्रद्धालुओं की आस्था भारी पडी। गौरतलब है कि रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 3553
मीटर (11654 फीट) की ऊंचाई पर मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर स्थित केदारनाथ धाम का देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में विशिष्ट स्थान है। मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पापों का प्रायश्चित करने केदारनाथ पहुंचे और भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव बैल के रूपमें प्रकट हुए। तब से यहां बैल रूपी शिव के पृष्ठ भाग की पूजा होती आ रही है। 2013 की आपदा में केदारपुरी पूरी तरह तहस-नहस हो गई थी। सिवाय मंदिर के वहां कुछ भी नहीं बचा। लेकिन, तेजी से हुए पुनर्निर्माण कार्यों के चलते अब केदारपुरी पहले से भी खूबसूरत हो गई है। लगता ही नहीं कि आपदा ने यहां भारी तबाही मचाई होगी। केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी की चढ़ाई पैदल तय करनी पड़ती है।
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